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घर की दीवारें और कमरों के रंग वास्तु के अनुसार

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दोस्तों , जैसा कि मैंने आप लोगों से वादा किया था कि मैं घर की दीवारों को लेके एक ब्लॉग लाऊँगा तो मैं एक नयी जानकारी के साथ हाजिर हूँ | क्या आप जानते हैं कि घर की दीवारें तो वास्तु से जुड़ी ही होती हैं पर उनसे आपकी किस्मत भी जुड़ी होती है …. जी , सही सुना आपने | घर की दीवारों की लंबाई , चौड़ाई और ऊंचाई और उनके रंग भी आपकी किस्मत बना भी सकते हैं और बिगाड़ भी | आपने वास्तु में अक्सर घर के अंदर के दोष और उनके निवारण के बारे मेँ पढ़ा और सुना होगा पर यहाँ पर मैं आपको बताऊंगा कि कैसे आपके घर का प्रवेश द्वार और उसकी बनावट भी आपके शारीरिक और मानसिक दोनों बातों पर गहरा असर डालती है | दीवारों की ऊंचाई और मोटाई का असर-- घर की बाहरी चारदीवारी की ऊंचाई घर के प्रवेश द्वार की ऊंचाई से तीन चौथाई से ज्यादा होनी चाहिए | पश्चिम और दक्षिण दिशाओं की दीवारों की ऊंचाई उत्तर और पूर्व दिशाओं की दीवारों की तुलना में 30 सेमी . अधिक होनी चाहिए। पश्चिम और दक्षिण दिशाओं की दीवारें उत्तर और पूर्व दिशाओं की चारदीवारों से अधिक मोटी भी होनी चाहिए | इसका सीधा असर य
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दोस्तों , हम सभी का सपना होता है  एक अपना घर होना और वो घर तब सपनो का घर हो जाता है जब वो घर पूरे परिवार के लिए शुभ हो | और इसका सबसे सरल तरीका है वास्तुशास्त्र | आज हम सबसे  पहले आपको वास्तुशास्त्र और इसके फायदों से अवगत करते है क्योंकि किसी भी चीज़ को अपनी लाइफ में लाने से पहले उसके बारे में जान लेना जरुरी होता है | वास्तुशास्त्र क्या है -- वास्तुशास्त्र भारत का ही एक पुराना विज्ञान है | इसके बहुत साधारण से नियम हैं जो भवन निर्माण के बारे में सही जानकारी देते हैं | भारत का यह विज्ञान ७००० साल पुराना है |  वास्तुशास्त्र हमें ये बताता है कि जब भी हम भवन निर्माण के लिए कोई भूमि पसंद कर रहे हों तो हमे किन बातो का ध्यान रखना चाहिए | संस्कृत में "वास्तु" का  अर्थ होता है "भवन निर्माण " और "शास्त्र " का अर्थ होता हैं "विज्ञान"|   इसके सिद्धांत वातावरण में जल , पृथ्वी , वायु , अग्नि और आकाश तत्वों के   बीच एक सामंजस्य स्थापित करने में मदद करते हैं। जल , पृथ्वी , वायु , अग्नि और आकाश इन पाँचों तत्वों का हमारे कार्य प